अपनी कीमत पहचानो
अपनी कीमत पहचानो, यह Story हमें उस रोशनी की ओर ले जाता है, जो हमें अपने आत्म-सम्मान की पहचान करने की महत्वपूर्णता सिखाता है। यह Hindi Motivational Story, जीवन में हम सभी कई बार परेशानियों और चुनौतियों का सामना करते हैं, Motivational Story, लेकिन हमारी सच्ची कीमत को पहचानकर ही हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। The Motivational Story, में, हम साकार कहानियों, प्रेरणादायक उदाहरणों, और उपयोगी संवादों के माध्यम से अपनी सही कीमत की खोज में निकलेंगे। Hindi Motivational Story, यहाँ हम जीवन की मूलभूत सत्यता को समझेंगे कि हमारे अंदर छिपी हुई ताकत को पहचानने से ही हम सच्ची महत्वाकांक्षा और सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। अपनी कीमत पहचानो, इस यात्रा में साथ चलें और अपनी असली कीमत को खोजें, ताकि हम सच्ची खुशियों और सफलता की दिशा में अग्रसर हो सकें।
Motivational Story
अगर आप ढूंढना चाहते हैं, तो खुद को ढूंढिए क्योंकि दुनिया में बाकी सब तो गूगल पर मिल ही जाता है। एक भिकारी जो एक छोटे से कस्बे में रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर बैठकर के भीख मांगा करता था। उसके पास में एक पुराना सा कटोरा हुआ करता था। उसमें कुछ चार पांच सिक्के रख लेता था। उन्हें खनकाता था, आवाज करता था, लोग आकर्षित होते थे, साथ में गाना गाता था की तुम गरीबों की सुनो तुम्हारी सुनेगा, तुम ₹10 दोगे, वो 1,00,000 देगा।
The Motivational Story
इक्के दुक्के लोग जिनका ध्यान आकर्षित हो जाता, जिनको दया आ जाती तो सिक्के डालके निकल जाते थे। ये इसका रोज़ का रूटीन था। उस कस्बे के लोग कहते थे की इस भिकारी के जो पुरखे थे वो बहुत अमीर थे। पता नहीं इसकी हालत आज कैसे हो गई? ऐसी की इसे भीख मांगने की नौबत आन पड़ी। वो पूरी कहानी कोई जानता नहीं था। एक शाम में और रोज़ की तरह यही काम कर रहा था। उसे ला के अब चलना चाहिए, लेकिन भिकारी ने सोचा 5, 10 मिनट और बैठ जाते हैं।
तभी एक पैसेंजर वहाँ से निकला और बड़ी तेजी में था, लेकिन भिकारी के पास आकर के रुक गया। उसने कटोरे को देखा, भिखारी को देखा, कटोरे को देखा, फटाक से अपनी जेब में हाथ डाला, पर्स निकाला, 100 ₹100 के नोट गिरने लगा और भिकारी की जो आँखें थी, उनमें चमक आ गई। उन्होंने कहा, एक नोट मिल जाए तो काम हो जाए। उस आदमी ने 10 नोट भिकारी की तरफ बढ़ाया और कहा कटोरा दोगे ₹1000? भिखारी सोचने लगा एक कटोरी के ₹1000 इसने में उसने और 10 नोट निकाले। बोला ₹2000 कटोरा दोगे?
भिकारी ने बिना दिल के कटोरा आगे बढ़ा दे की लोलो भाई साहब ले जाओ। उस आदमी ने फटाक से उस कटोरे के लिए आपने बैग में डाला और चल निकला और भिकारी भी फटाफट से अपना झोला, बैग सब समेट करके भागा। दूसरी दिशा में की कहीं उस आदमी का मन ना बदल जाए और उस आदमी को लग रहा था कि कहीं भिकारी का मन ना बदल जाए। कहीं वापस ना मांग ले। कटोरा वो दौड़ के स्टेशन में अंदर आया। ट्रैन का इंतजार करने लगा। जैसे ही ट्रैन आई अंदर चढ़ गया, पीछे पलट पलट के देख रहा था। ये भिकारी ना आ जाए।
ट्रैन ने हॉर्न बजाया, स्टेशन छोड़ा उस आदमी ने राहत की सांस लेके चलो आया नहीं अपने बैग में हाथ डाला और उस कटोरे के वजन को टटोलने लगा के कितना भारी है? वो कटोरा आधे किलो का था और ये आदमी धातुओं का जानकार था। जोहरी था ये एक नजर में उस गंदे कटोरे को जो धूल में सुना हुआ था, पहचान गया था की ये सोने का कटोरा है।
ये बड़ा खुश हो रहा था की लाखों का कटोरा 2000 में लेकर आ गया और भिखारी बहुत खुश हो रहा था की कटोरे के ₹2000 देकर के कोई मूर्ख चला गया। बहुत छोटी सी कहानी उस भिकारी की नहीं है, कटोरे की नहीं है, व्यापारी की नहीं है, जौहरी की नहीं है या आपके और हमारी है। हमें जो लाइफ मिली है, उसकी वैल्यू हमने कभी लगाई नहीं। हमें लगता है कि मैं तो इस लायक ही नहीं हूँ। मुझसे तो कुछ होगा ही नहीं। मुझे तो इतने सबके लिए बस पैदा हुआ हूँ। मैं तो इतना ही कुछ करके चला जाऊंगा।
मुझे ज्यादा कुछ अचीव नहीं करना मेरे अंदर कैपेबिलिटी नहीं है, ताकत ही नहीं है। हम अपने इस दुर्लभ मनुष्य तन की कीमत को कभी पहचान ही नहीं पाए। हम वही गंदा कटोरा लेकर के भीख मांग रहे हैं। हम भूल गए के सोने का कटोरा है, बहुत कीमती है जिसकी वैल्यू अगर आपने समझ ली तो आपकी लाइफ में चेंज आना शुरू हो जाएगा।
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