नास्तिकता, आध्यात्मिकता, Hindi Motivational Story

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नास्तिकता, आध्यात्मिकता, Hindi Motivational Story

Best Motivational Story In Hindi

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Small Motivational Story

इंसान ही इंसान के काम आता है, आपस में प्रेम बनाये रखिये, भगवान तो आपको स्वयं मिल जायेंगे। एक नास्तिक इंसान की कहानी सुनते हैं, जिसका भगवान में रति भर भी भरोसा नहीं था, विश्वास नहीं था इन फैक्ट, वो जहाँ भी जाता था, लोगों से यही कहता था की भगवान नहीं होते हैं, क्या तुम बार बार भगवान भगवान करते हो, अपना काम खुद को ही करना पड़ता है, भगवान नहीं आते है, वो हमेशा जो है। यही बातें कहता रहता था, डिबेट करता रहता था, लोग बाइक से सड़क किनारे उसका हादसा हो गया, एक्सीडेंट हो गया, घायल पड़ा हुआ था जमीन पर और कलयुग का जमाना यहा लोग कहा दुसरे की मदद करते है।

वो पुकार रहा था, आ जाओ, मेरी मदद करो, कोई आ ही नहीं रहा था, लोग उसकी फोटो खींच कर, वीडियो बना कर आगे बढ़ जा रहे थे, और जब उसे लगा की कोई मेरी मदद के लिए आ नहीं रहा है तो उस नास्तिक इंसान ने भी भगवान श्री कृष्ण को पुकारा बस एक बार उसने मन में कहा हे कन्हैया आप ही आ कर के सांभल लो थोड़ी देर के बाद में वहाँ से एक सब्जी वाला गुजरा और उसने देखा की घायल व्यक्ति पड़ा हैं, सड़क किनारे तो उसको उठाया उसको अस्पताल पहुँचाया, उसके घर पर कॉल किया, घरवालों को बुलाया कहा साहब आपका ये जो परिचित हैं आपके सदस्य है, परिवार का यहाँ भरती हो गया है, घर वाले आये तो में जल्दी में हु, मुझे जाना है।

अंधविश्वास के खिलाफ

घरवालों ने नाम पूछा, नाम तो बता जाओ भैया क्या करते हो, बोले सब्जी बेचता हूँ। नाम मेरा बाके बिहारी है। घरवालों ने कहा अपना पता लिखावा जाओ, जब ये ठीक हो जायेंगे तो इनको लेकर आयेंगे, आपसे मिलवाने के लिए, आपको कम से कम धन्यवाद तो करें, वो आदमी अपना पता लिखवा कर चला गया, यहाँ ये नास्तिक आदमी अस्पताल में धीरे धीरे ठीक होने लगा और कहने लगा लोगों से वही बात जो कहता आया था, देखो भगवान कुछ नहीं होता, मैंने भी एक बार पुकारा था, भगवान नहीं आया एक सब्जी वाला आया था, और उसने आ कर के मुझे यहाँ तक पहुँचा दिया।

भगवान को पुकारा था, भगवान को आना चाहिए था, भगवान तो आये नहीं, वो हर किसी को यही कहाँ रहा था। लोग कहाँ रहे थे, नहीं भगवान ने उसे भेजा। नहीं नहीं भगवान ने भेजा वेजा नहीं हैं। वो तो खुद निकल रहा था, बेचारा ठीक आदमी था, इसलिए मेरी मदद कर गया, इसके घरवाले ने कहाँ आप ठीक हो गए हो तो एक काम करते है, हमने उससे वादा किया था, उस सब्जी वाले को आपसे मिलवाने जरूर लाएंगे, इनको तो चलते है न उसके घर पर एक बार उसने पता भी लिखवाया हुआ है, तो जो पता लिखवाया हुआ था उस पते पर, वो सब्जी वाले से मिलने के लिए जो नास्तिक व्यक्ति था और उसका परिवार था सब वहाँ पंहुचा, वहां जा कर के देखते हैं की वहाँ कोई घर है ही नहीं, वहाँ तो एक बड़ा सा मंदिर था, मंदिर के पुजारी से पूछा की आस पास यहाँ कोई बाके बिहारी रहता है, पुजारी ने इशारा किया मंदिर में अंदर जो मूर्ती थी उसकी तरफ और कहा की यही है, एक मात्र बांके बिहारी और तो कोई यहाँ इस नाम से नहीं है।

उस नास्तिक व्यक्ति की आँखों में आंसू आ गए, जमीन पर गिर गया, दंडवत प्रणाम करने लगा और कहने लगा भगवान मैं मुर्ख दुनिया को यही कहता रहा की आपने किसी को भेज दिया होगा, ऐसा कुछ नहीं है। वो तो सब्जी वाले का दिल अच्छा था, मुझे नहीं पता था कि सब्जी वाला बनकर आप स्वयं आ गए थे। मेरी इन आँखों से मैं देख नहीं पाया, समझ नहीं पाया, मुझे क्षमा कर दे प्रभु, मैंने सिर्फ एक बार पुकारा, जीवन भर आपकी बुराई करता रहा। सिर्फ एक बार पुकारा और आप एक पुकार पर चले आए। वहाँ से जब वो नास्तिक व्यक्ति, निकला न मंदिर से बाहर तो बोर्ड लगा हुवा था, जिस पर लिखा था की इंसानों को एक दुसरे के काम आते रहना चाहिए, आपस में प्रेम बना कर रखो, मैं तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा।

बहुत छोटी सी कहानी है जिसका सार ये कहता है कि प्रेम तो बनाये रखिये, साथ ही ऊपर वाले पर भरोसा बनाये रखिये। क्योंकि जब वो एक पुकार पर आ सकते हैं तो अगर आपका विश्वास प्रगाढ़ हो जाए, आपकी श्रद्धा आटूट हो जाए तो आपके सारे काम होते चले जायेंगे, बस भरोसा बनाये रखिये।

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