Gussa Nahin Karna, Gussa Aaye To Kaise Control Kare

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Gussa Nahin Karna, Gussa Aaye To Kaise Control Kare

Gussa Nahin Karna

Gussa Nahin Karna, यह एक ऐसी चीज है, जो हमारे स्वास्थ्य और संबंधों को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, Gussa Aaye To Kaise Control Kare, हमें अपने गुस्से को नियंत्रित करना सीखना जरूरी है। Gussa Nahin Karna, के कला को सीखना जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुस्सा उस बड़ी आग की तरह है जो हमारे अंदर जलती है. लेकिन इसे नियंत्रित करने की कला से हम अपने आप को और अपने आस-पास के लोगों को बचा सकते हैं।

इस पोस्ट में, Gussa Aaye To Kaise Control Kare, हम गुस्सा को संभालने के लिए कुछ प्रभावी तरीके साझा करेंगे, जिससे आप अपने जीवन को अधिक सकारात्मक और शांतिपूर्ण बना सकते हैं। Gussa Aaye To Kaise Control Kare, तो आइए हमारे साथ साथ चलें, और गुस्सा को संभालने के लिए उपयुक्त युक्तियों की खोज करें। और Gussa Ho To Kya karna Chahiye, जानते हैं. विस्तार से और अपने जीवन को बहतरीन बनाते हैं.

Gussa Ho To Kya karna Chahiye

ये कहानी है एक छोटी सी बच्ची की जीसको बहुत गुस्सा आता था बात बात पे गुस्सा आता था जब उसको गुस्सा आता था तो वो ये नहीं देखती थी की उसके सामने कौन है? और जो उसके मन में आता था, वो सब बोल देती थी।

कई कई बार तो वो कुछ चीजें उठाती और जमीन पर फेंकती और तोड़ दे। उसके माँ बाप बहुत परेशान हो गए। उनको समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे? उन्होंने बहुत कोशिश करी उस बच्ची को समझाने की अलग अलग तरीके से लेकिन वो बच्ची समझ ही नहीं रही थी। फिर 1 दिन उसकी माँ ने उसकी ट्यूशन टीचर से बात करी क्योंकि ट्यूशन टीचर ये एक ऐसी थी जिसकी वो बात सुनती थी।

Gussa Control Kaise Kare

तो उसकी टीचर ने उसकी माँ की सारी बातों को सुना और उनको बोला की आप चिंता मत करो। आने वाले कुछ दिनों के अंदर अंदर ही इस बच्ची और गुस्सा पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा। उसकी माँ को समझ नहीं आया, लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि कोशिश करने में क्या जाता है?

फिर उस दिन रोज़ की तरह जब वो टीचर आई और वो क्लास शुरू होने वाली थी तो उसकी टीचर ने उस बच्ची से कहा कि आज हम पढ़ाई नहीं करेंगे। आज हमें गेम खेलेंगे तो बच्ची ये सुन करके बहुत खुश हो गए। फिर टीचर उस बच्ची के साथ में उस घर के पीछे एक दीवार के पास में जाकर के खड़ी हो गई और उस टीचर ने उस बच्ची को कहा की गेम ये है की अब जब भी तुम्हे गुस्सा आए तुम्हे कील लेनी है, और यहाँ पर आकर इस दीवार में गाड़ देनी है। तुमसे से जितनी हो सकती है।

फिर उस बच्ची ने टीचर से पूछा लेकिन इससे क्या होगा? तो टीचर ने कहा कि जब ये गेम खत्म हो जाएगी तो तुम्हें एंड में एक प्राइस मिलेगा। फिर उस बच्ची ने बिल्कुल वैसा ही किया जैसे कि उस टीचर ने कहा था यानी कि अब उसको जब भी गुस्सा आता तो वो जाती और जा करके एक कील उस दीवार में गाड़ देती तो जैसा कि उस लड़की को बहुत गुस्सा आता था, तो पहले ही दिन वहाँ पर 10 से ज्यादा किले गड़ गई लेकिन उन किलों को गाड़ने के लिए उसको बार बार पीछे जाना पड़ता और जाकर के उस किल को गाड़ना पड़ता तो उसके दिमाग में आया कि जितनी मेहनत में लगाती हूँ उन्हें गाड़ने में उससे कम मेहनत में मैं अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकती हूँ। अगले दिन आठ किले घड़ी उसके अगले दिन छह, फिर चार, फिर तीन फिर दो फिर एक। फिर एक ऐसा भी दिन आया जब एक भी बार उसको गुस्सा नहीं आया और एक भी किल उस दीवार में नहीं गढ़ी और वो बच्ची बहुत खुश हो गई। खुशी खुशी वो अपनी टीचर के पास में गई और जाकर के उनको बताया कि देखो माम् आज मैंने एक भी किल उस दीवार में नहीं गाड़ी है क्योंकि मेरे को एक बार भी गुस्सा नहीं आया है।

तो माम् ने उसको थोड़ी सी शाबाशी दी और माम् उसके साथ में उस दीवार के सामने जाकर के खड़ी हो गई। अब माम् ने उस बच्ची को कहा की गेम अभी खत्म नहीं हुई है, अब तुम्हें।

क्या करना है कि जीस भी दिन तुमको बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आता है। उस दिन के एंड में, एक किल को इस दीवार से निकाल दोगी तो बच्ची ने वैसा ही किया, लेकिन क्योंकि किले बहुत ज्यादा थी तो एक महीने से भी ज्यादा टाइम लग गया उन सारी किलो को बाहर निकलने में। लेकिन 1 दिन ऐसा भी आया जब सारी किले उस दीवार से बाहर निकल गई। फिर वो बच्ची बहुत ही खुश हो करके अपनी टीचर के पास में गई और जा करके बोला कि अब उस द्वार में एक भीकीन नहीं है तो उसकी टीचर उस बच्ची के साथ में उस दीवार के सामने जाकर के खड़ी हुई। उसने देखा कि एक भी कील नहीं है दीवार में। फिर उसको उसकी एक फेवरेट चॉकलेट गिफ्ट करी और बोला कि तुम इस प्राइस को जीत गई हो। बच्ची बहुत ही खुश हो गई।

फिर टीचर ने उस बच्ची से पूछा। हमको इस दीवार में कुछ नजर आ रहा है तो बच्ची ने कहा नहीं माम्, इसमें तो कुछ भी नहीं है, सारी किले निकल चुकी है तो उस टीचर ने कहा एक बार ध्यान से देखो शायद कुछ नजर आए तो उस बच्ची ने दोबारा देखा और कहा वो जो किले मैंने गाड़ी थी उसके कुछ निशान मुझे नजर आ रहे हैं। दीवार में जब बच्ची ने ये देख लिया फिर उसकी माम् ने उस बच्ची को कहा जैसे तुमने इस दीवार में कील गाड़ी और अब तुम उस कील को तो निकाल सकती हो लेकिन उसके निशान को नहीं मिटा सकती। ठीक इसी तरह से होता है, जब तुम गुस्सा करती हो जब तुम गुस्सा करती हो अपने माँ बाप पे या किसी पे भी तो उनके पर चोट लगती है। उनको दर्द होता है और वहाँ पर एक निशान रह जाता है।

उस निशान को तुम चाह करके भी हटा नहीं सकती, फिर चाहे तुम उनसे जितना मर्जी माफी मांग लो। ये सुन कर बच्ची को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो रोने लगी और वो भागती हुई गई और अपनी माँ के पास में जाकर के उनसे गले लग गई और अपनी माँ को बोली की मम्मा मैं आज के बाद कभी गुस्सा नहीं करूँगी। मुझे समझ आ गया मैंने क्या गलती करी और उस दिन के बाद उस बच्ची ने कभी गुस्सा नहीं किया।

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