खुद को बेहतर बनाना
क्या आपने कभी सोचा है कि अपने जीवन में और पेशे में अधिक महत्ता कैसे प्राप्त की जा सकती है? यहाँ हम एक अनुभाग के माध्यम से अपने स्वयं की महत्ता को बढ़ाने और अपने व्यक्तित्व को संवारने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। साझा करेंगे कि कैसे अपनी वैल्यू को बढ़ाने के लिए सच्चाई, ईमानदारी, और कार्रवाई के माध्यम से आगे बढ़ा जा सकता है।
हम संवाद करेंगे विभिन्न आत्मविश्वास और सेल्फ-मोटिवेशन तकनीकों के बारे में, जो हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। खुद को समझने, अपनी क्षमताओं को पहचानने, और सही दिशा में अपने काम को ले जाने के लिए विभिन्न अभ्यासों और अनुभवों की चर्चा करेंगे।
सेल्फ वैल्यू
हम जब अपने आत्म-सम्मान और स्वाभिमान को स्थायी बनाते हैं, तो हमें हर संघर्ष का सामना करने की ताकत मिलती है। हम बात करेंगे कि कैसे आप अपनी वैल्यू को बढ़ा सकते हैं, अपना मान कैसे बढ़ा सकते हैं, और खुद को बेहतर बनाने के लिए कैसे एक सकारात्मक दृष्टिकोण बना सकते हैं।
सेल्फ वैल्यू को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि आपको एक सकारात्मक और प्रेरणादायक दृष्टिकोण प्रदान करेगा जो आपको जीवन में अधिक सफल और खुशहाल बनाने की क्षमता देगा।
Motivational Story
जीवन का सफर अनगिनत चुनौतियों से भरा हुआ है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि दूसरों के पीछे भागना हमें सफलता नहीं दिलाएगा। अगर हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत करें तो सीधे रास्ते पर चलना हमें सफलता की उचाईयों तक पहुंचा सकता है।
एक गांव में एक रवि नाम का लड़का रहता था। उस लड़के की एक बहुत बड़ी कमजोरी थी। हद से ज्यादा दूसरों के पास जाता, हद से ज्यादा दूसरों को भाव देता था। कई बार लोग उसका मजाक उड़ाते। । मजाक उड़ने के बाद भी वह चुप ही रहता था। लोग उस लड़के का बहुत इस्तेमाल भी करते थे, उससे अपना काम निकलवाते एक बार काम निकल जाने के बाद पूछते तक नहीं थे। वह लड़का दिन रात दूसरों के लिए पागल रहता था। बदले में उसके होने या नहीं होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता था। रवि कभी भी दूसरों को किसी काम के लिए इनकार नहीं कर पाता था।
और एक बार किसी ने उससे मदद मांग लिया तो उसे मना नहीं कर पाता था। जिसके परिणाम स्वरूप वह पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा था। उसके कुछ दोस्त थे जिसके पास वो जाता ताकि वो अकेले ना रहे और मज़े कर सके। उसके दोस्त बस उसे नाम के लिए पूछते थे। अगर वो होता तो भी ठीक है, नहीं होता तो भी ठीक है। ऐसा ही सिलसिला कई महीनों तक चलाता रहा। रवि को धीरे धीरे अहसास होने लगा था कि लोग उसका इस्तेमाल सिर्फ काम के लिए ही करते हैं।
एक बार उनका मतलब निकल जाता है तो दुबारा मुझे पूछते तक नहीं है। ये बात उसे अंदर से तोड़ती थी, झकझोरती थी लेकिन वह उसी काम को दोबारा करता था। फिर से उन्हीं लोगों के पास जाता। अगर उसे कोई बोल भी देता तो उसे जवाब नहीं देता था। इसी बीच उसका ध्यान ना पढ़ाई में लगता और ना ही किसी दूसरे काम में, गलती लोगों की नहीं बल्कि रवि की ही थी क्योंकि वह चार लोगों में उन चार दोस्तों में जबरदस्ती घुसने की कोशिश करता था जो साथ नहीं भी होना चाह रहे थे।
उन्हें भी जबरदस्ती अपना बनाने की कोशिश कर रहा था। ऐसे बहुत दिन बीतते गए और आखिरकार वह भी दिन आया जब उसे पूरी तरह से इस बात का एहसास हुआ की वो इस जमाने में सिर्फ और सिर्फ मजाक बनकर रह गया है। ना उसका वजूद है और ना ही कोई वैल्यू है। जीस दिन रवि को इस बात का एहसास हुआ वो इस जमाने में मजाक बनके रह चुका है। उसे बहुत बुरा लगा और वह अकेले में कमरे को बंद करके रोता है। अगले दिन से वो सब कुछ बदलने की कोशिश करता है। उस रात वह बहुत रोया और यह निर्णय लिया उसे अब इस जमाने में मजाक नहीं बल्कि बड़ा इंसान बनाना है। अब वो इतना सस्ता नहीं होना चाहता कि कभी भी उसका कोई भी इस्तेमाल कर ले।
वह अपने आप को इतना कीमती बनाना चाहता था कि लोगों को इस्तेमाल करने से पहले उसकी औकात याद आ जाए। उन्हें बात करने से पहले अपनी औकात नापने की नौबत पड़ जाए। ये तो शुरुआत थी और शुरुआत में इतनी हिम्मत दिखाना उसके लिए थोड़ी मुश्किल थी, लेकिन इस बार बात इसके अपने वजूद को मजबूत करने के लिए थी। वह हिम्मत जुटाया। फैसला लिया कि अब मुझे कर दिखाना है।
अगली सुबह से अब वह लोगों को देखना कम कर देता है। उन चार दोस्तों में पहले जिसे इसकी जरूरत नहीं थी, अब वही इसकी कमी खलने लगती है। अब वह सिर्फ अपने पढ़ाई पर ज़ोर डालता है। फ़ोन को हाथ में रखना बंद कर देता है ताकि वह भटक ना जाए। अब वह पूरी तरह बदल चुका होता है। उसको अब कोई काम के लिए बोलता तो वह पहले अपने काम देखता। अगर उसके पास पहले से ही कोई काम या जिम्मेदारियां होती तो वह सामने से मना कर देता है। अब वह ऐसी कोई गलती नहीं करता जो उसके वजूद को हिला दे। वह अपनी दिशा बदल चुका था, रफ्तार बढ़ा चुका था। उसने अपने आप को हर काम, हर सब्जेक्ट में परफेक्ट किया। जहाँ पहले उसे सिर्फ पास होने तक के नंबर चाहिए होते थे, अब वह 80% आने के बाद भी नाखुश था। उसका दिल और दिमाग अपने उसूलों पर चलने लगा था।
अगर उसे अब कोई एक बार गलत बोलता तो वह उसे 10 बार गलत साबित करता था। सिर्फ और सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने के पीछे पागल रहने लगा था। अब लोग कहने लगे थे अरे ये इतना कैसे बदल गया है? धीरे धीरे वह अपने समाज में मशहूर होते चला गया। उसके समाज के लोग ये सोचते की ये कैसे इतना बदल गया? वही लोग जो इसको भाव तक नहीं देते थे, उसे पहले जैसा देखने के लिए तरसते थे। इसने अपनी तैयारी में दिन रात एक कर अपने होशियारी से सरकारी नौकरी हासिल की। जो रिश्तेदार उसे ब्लॉक करके रखते थे, अब उसके कॉल का इंतजार करते थे। ये कहानी उस रवि की नहीं है बल्कि हर तीसरे व्यक्ति में से एक व्यक्ति की कहानी है। दुनिया वाले भाव नहीं देते हैं, लेकिन उनके पीछे भागते रहते हैं, अपने आप को वैल्यू नहीं देते हैं। जीस दिन आप अपने आपको वैल्यू देना शुरू कर देंगे और अपने आप को बदल लेंगे। उस दिन आप अपने जीवन के हीरो बन जाएंगे।
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