नकारात्मकता कैसे दूर करें
मन से नकारात्मकता कैसे दूर करें, आपका आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता में नकारात्मकता की भारी व्यापकता हो सकती है। कैसे अपने मन को नकारात्मकता से मुक्त करें और खुशहाल और सकारात्मक जीवन की दिशा में आगे बढ़ें। हम इस बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे, साथ ही नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता को अपनाने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे। मन से नकारात्मकता कैसे दूर करें, इस न्यूज़ ब्लॉग को पढ़कर, आप अपने मन की शांति को प्राप्त करेंगे और खुशहाल जीवन की ओर प्रगति करेंगे। नकारात्मकता क्या है और उससे कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में भी हम आपको जानकारी प्रदान करेंगे। मन से नकारात्मकता कैसे दूर करें, यहाँ आप अपने मन की शक्ति को जानेंगे और सकारात्मक दिशा में अपने जीवन को संवारेंगे। तो इस सफर पर हमारे साथ चलें और नकारात्मकता को दूर करके खुशहाल और सकारात्मक जीवन की दिशा में अग्रसर हों।
नकारात्मकता से बचने के उपाय
भगवान ने जब इंसान की रचना की तो उसे अपनी यात्रा आरंभ करने से पहले दो पोटिल दी और कहा, एक पोटली तुम आगे की तरफ लटकाना और दूसरी पोटली कंधे के पीछे की तरफ इंसान ने बिल्कुल वैसा ही किया। फिर भगवान ने कहा ध्यान से सुनो। तुम्हारी नजर सिर्फ और सिर्फ आगे वाली पोटली पर होनी चाहिए, पीछे वाली पर नहीं।
इंसान हामी भरकर वहाँ से चला गया। इंसान ने ठीक वैसा ही किया जैसा उसे भगवान ने बताया था। वो आगे वाली पोटली को बार बार देखता, आगे वाली पोटली में उसकी कमियां थी और पीछे वाली पोटली में दुनिया की कमियां। वो जब भी आगे वाली पोटली को देखता तो उसे अपनी कमियां नजर आती।
वो एक एक करके अपनी कमियां सुधारता गया और उसकी तरक्की होने लगी। वो बहुत अच्छा इंसान बनता गया। बेहतर से बेहतर खुशहाल होता गया। उसने कभी भी पीछे वाली पोटली पर नजर तक नहीं डाली। एक बार वो तालाब के किनारे नहाने के लिए रुका। उसने दोनों पोटलियाँ तालाब के किनारे छोड़ दी। नहा कर जब वो बाहर आया तो उसे समझ ही नहीं आया कौन सी पोटली आगे वाली थी और कौन सी पीछे वाली। क्योंकि दोनों बिलकुल एक जैसी थी।
नकारात्मकता क्या है
अब गड़बड़ ये हुई कि उसने पीछे वाली पोतली आगे टांग ली और आगे वाली पीछे अब उसे पूरी दुनिया में कमियां ही कमियां नजर आने लगी। ये ठीक नहीं, वो ठीक नहीं, बच्चे निकम में है, पड़ोसी बेकार है, सरकार बेकार है, जहाँ देखो वहाँ कमियां अब वो हर जगह कमियां ढूंढने लगा, सिवाए खुद के क्योंकि उसे भगवान की वो बात याद थी की नजर सिर्फ आगे वाली पोटली परखना।
अब बेचारे का बहुत बुरा परिणाम होने लगा। वो पतन की तरफ बढ़ने लगा, नकारात्मकता ने उसे घेर लिया। हर इंसान उसे बुरा लगने लगा। उसकी दुनिया नरक बनने लगी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था की आखिर चक्कर क्या है? वो वापस भगवान के पास गया, भगवान ने उसे समझाया। जब तक तेरी नजर खुद की कमियों पर थी, तू तरक्की कर रहा था क्योंकि तू खुद को सुधार रहा था और जैसे ही तुने दूसरों की कमियां देखनी शुरू कर दी वैसे ही तेरा पतन आरंभ हो गया।
दोस्तों, यही हकीकत है। जब जब हम अपनी उंगलियाँ दूसरों पर उठाएंगे तब तब हम केवल और केवल अपना ही नुकसान करेंगे। हम किसी को भी नहीं सुधार सकते हैं. आध्यात्मिकता की नजर से देखें तो हर कोई अपनी यात्रा पर है। हम खुद की कमियां सुधार ले, खुद को बेहतर बना ले। रोज़ खुद को पिछले दिन से बेहतर बना ले, यही जरूरी है।
किसी ने क्या खूब कहा है, झांक रहे हैं, इधर उधर सब अपने अंदर झाके कौन ढूंढ रहे दुनिया में कमियां अपने मन को ताकि कौन दुनिया सुधरे, सब चिल्लाते खुद को आज सुधारे कौन? पर उपदेश कुशल बहुतेरे, खुद पर आज विचारें कौन? हम सुधरे तो जग सुधरेगा ये सीधी बात विचारे कौन?
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